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पाकिस्तान की जेल में यूपी के मछुआरे की मौत, शव पहुंचते ही गांव में मचा कोहराम

Fisherman from UP Dies in Pakistan Jail Body Reaches Village Amid Mourning
पढ़ने का समय: 5 मिनट
Khushbu Kumari

जौनपुर के बीसिराहा गांव के एक मछुआरे की पाकिस्तान की जेल में मौत हो गई। शव गांव पहुंचने पर माहौल गमगीन हो गया। परिजन शोक में डूबे हैं और ग्रामीण न्याय की मांग कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के बीसिराहा गांव के एक मछुआरे की पाकिस्तान की जेल में मौत हो गई। शनिवार को जब मृतक का शव गांव पहुंचा तो पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। परिजन बेसुध हो गए और ग्रामीणों ने न्याय की मांग उठाई।

गलती से पार की सीमा, बना लिया गया कैदी

जानकारी के अनुसार, मृतक मछुआरा गलती से मछली पकड़ते हुए पाकिस्तान की समुद्री सीमा में प्रवेश कर गया था। इसके बाद पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने उसे पकड़ लिया और जेल में डाल दिया। बताया जा रहा है कि बिना किसी सुनवाई के उसे कैद में रखा गया जहां अमानवीय हालात में उसकी मौत हो गई।

राजनयिक प्रयासों से लौटा शव

भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच हुई बातचीत के बाद शव को वाघा बॉर्डर पर भारतीय अधिकारियों को सौंपा गया। इसके बाद शव को सड़क मार्ग से मृतक के गांव लाया गया, जहां अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।

गांव में मातम, परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल

जैसे ही शव गांव पहुंचा, चारों ओर मातम पसर गया। मृतक की मां और पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। बच्चे बेसुध से होकर रिश्तेदारों से लिपट गए। गांव वालों ने परिवार के प्रति संवेदना जताई और शासन से सहायता की मांग की।

ग्रामीणों में आक्रोश

गांव के लोगों ने इस घटना पर नाराजगी जताई। उनका कहना है कि सरकार को ऐसे मामलों में गंभीरता से कदम उठाने चाहिए ताकि निर्दोष लोग इस तरह की त्रासदी के शिकार न बनें।

मुआवजे और जांच की मांग

स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से मृतक के परिवार को मुआवजा देने और पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। साथ ही, अन्य भारतीय मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस रणनीति बनाने की भी अपील की गई है।

सरकारी प्रतिक्रिया का इंतजार

घटना को लेकर अब तक किसी वरिष्ठ अधिकारी या सरकार की ओर से आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। परिजन इस बात से भी आहत हैं कि अब तक किसी ने उनसे संपर्क नहीं किया।

हर साल होते हैं ऐसे मामले

विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना कोई अकेली नहीं है। हर साल दर्जनों भारतीय मछुआरे गलती से समुद्री सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच जाते हैं और वहां के जेलों में कैद हो जाते हैं। अधिकांश मछुआरे गरीब परिवारों से होते हैं जो रोजी-रोटी के लिए समुद्र में उतरते हैं।

मानवीय दृष्टिकोण की जरूरत

सीमा पर काम कर रहे मानवाधिकार संगठनों ने दोनों देशों से अपील की है कि ऐसे मामलों में मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाए। मछुआरों को दुश्मन नहीं बल्कि आम नागरिक मानते हुए कानूनी सहायता और समय पर रिहाई दी जाए।

अंतिम विदाई में उमड़ा जनसैलाब

गांव में शव का अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ किया गया। सैकड़ों ग्रामीण, परिजन और समाजसेवी उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए। जैसे ही शव को मिट्टी दी गई, हर आंख नम हो गई।

जरूरत है ठोस नीति की

यह मामला सरकार के लिए एक चेतावनी है कि भारतीय नागरिकों की विदेशों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और प्रभावी नीति बनाई जाए। मछुआरे की मौत से उठे सवालों के जवाब अभी बाकी हैं और एक टूटे हुए परिवार को न्याय का इंतजार है।


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