भारत ने बगलिहार डैम के गेट खोले: पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच जल प्रवाह में बदलाव

भारत ने जम्मू-कश्मीर के रामबन में चिनाब नदी पर स्थित बगलिहार जलविद्युत परियोजना के दो गेट खोले, जिससे पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच जल प्रवाह में बदलाव आया।
जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में स्थित बगलिहार जलविद्युत परियोजना के दो गेट खोले गए हैं, जिससे चिनाब नदी में जल प्रवाह में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। यह कदम भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच उठाया गया है, विशेष रूप से पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी।
घटना का विवरण
बगलिहार डैम के गेट खोलने का निर्णय भारी वर्षा के कारण जल स्तर में वृद्धि और सिल्ट जमा होने के चलते लिया गया। इस प्रक्रिया को ‘reservoir flushing’ कहा जाता है, जिसमें जमा सिल्ट को हटाने के लिए जलाशय को खाली किया जाता है। यह प्रक्रिया 1 मई से शुरू हुई और तीन दिनों तक चली।
भारत की जल नीति में बदलाव
भारत ने हाल ही में 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, जो पाकिस्तान को भारत से बहने वाली नदियों के जल उपयोग पर अधिकार देती थी। इस निर्णय के बाद, भारत ने बगलिहार और सलाल डैम के जलाशयों की क्षमता बढ़ाने के लिए काम शुरू किया है, जिससे पाकिस्तान को मिलने वाले जल प्रवाह में कमी आई है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने भारत के इस कदम की कड़ी निंदा की है और इसे युद्ध की कार्यवाही के रूप में देखा है। पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में जाने की धमकी दी है और भारत पर जल प्रवाह को रोकने का आरोप लगाया है, जिससे पाकिस्तान की कृषि और ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
स्थानीय प्रभाव
चिनाब नदी के किनारे बसे भारतीय गांवों में जल स्तर में अचानक वृद्धि देखी गई, जिससे कुछ क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई। हालांकि, अधिकारियों ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
भविष्य की योजना
भारत ने संकेत दिया है कि वह अन्य जलविद्युत परियोजनाओं, जैसे किशनगंगा डैम, पर भी इसी तरह के कदम उठा सकता है। यह निर्णय भारत की जल नीति में आत्मनिर्भरता और सुरक्षा को प्राथमिकता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
बगलिहार डैम के गेट खोलने का निर्णय भारत की बदलती जल नीति और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव का प्रतीक है। यह कदम न केवल भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की दिशा में है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को भी सुनिश्चित करता है। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह निर्णय क्षेत्रीय स्थिरता और द्विपक्षीय संबंधों पर क्या प्रभाव डालता है।