पाहलगाम हमले के बाद माइकल रुबिन ने पाक सेना प्रमुख असीम मुनीर की तुलना ओसामा बिन लादेन से की

पूर्व पेंटागन अधिकारी माइकल रुबिन ने पाहलगाम आतंकी हमले के बाद पाक सेना प्रमुख असीम मुनीर की तुलना ओसामा बिन लादेन से करते हुए अमेरिका से पाकिस्तान को आतंक समर्थक देश घोषित करने की मांग की।
जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद अमेरिका के पूर्व पेंटागन अधिकारी और अमेरिकी एंटरप्राइज इंस्टिट्यूट के वरिष्ठ सदस्य माइकल रुबिन ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की तुलना कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन से कर डाली है। यह बयान पाकिस्तान पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव और उसके कथित आतंकवादी संबंधों को लेकर चिंता को उजागर करता है।
रुबिन का विवादास्पद बयान
माइकल रुबिन ने ANI से बातचीत में कहा, “”ओसामा बिन लादेन और असीम मुनीर में केवल यही फर्क है कि ओसामा गुफा में रहता था और असीम मुनीर महल में। बाकी दोनों एक जैसे हैं और उनका अंजाम भी एक जैसा ही होना चाहिए।“” उन्होंने आगे कहा, “”आप किसी सुअर के ऊपर लिपस्टिक लगाएं, फिर भी वह सुअर ही रहेगा। आप पाकिस्तान को आतंक समर्थक देश न मानने का दिखावा कर सकते हैं, लेकिन हकीकत नहीं बदलती।“”
अमेरिका से कार्रवाई की मांग
रुबिन ने अमेरिका से मांग की कि वह पाकिस्तान को आधिकारिक रूप से आतंकवाद प्रायोजक देश घोषित करे और जनरल असीम मुनीर को आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करे। उन्होंने पाहलगाम हमले की तुलना 7 अक्टूबर 2023 को इज़राइल पर हुए हमास हमले से करते हुए कहा कि दोनों ही हमले शांतिप्रिय नागरिकों को निशाना बनाने के लिए किए गए थे – एक में इज़राइल के यहूदी और दूसरे में भारत के हिंदू।
भारत-पाक संबंधों पर असर
रुबिन के इन बयानों ने भारत-पाकिस्तान के बीच आतंकवाद को लेकर चर्चा को और तीव्र कर दिया है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को भी इज़राइल की तरह सख्त नीति अपनानी चाहिए और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। रुबिन ने कहा, “”अब समय आ गया है कि ISI के नेतृत्व को खत्म किया जाए, उन्हें आतंकवादी संगठन घोषित किया जाए और भारत के सहयोगी देशों से भी ऐसा ही करने की मांग की जाए।“”
पाहलगाम हमले के बाद माइकल रुबिन द्वारा दिया गया यह बयान पाकिस्तान की वैश्विक छवि और उसकी नीतियों पर गहरे सवाल खड़ा करता है। असीम मुनीर की तुलना ओसामा बिन लादेन से करना न सिर्फ एक गंभीर आरोप है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए भी प्रेरित करता है। भारत और अन्य देशों के लिए यह एक चेतावनी है कि आतंक के खिलाफ एकजुट होकर निर्णायक कार्रवाई की जाए।