जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उमर अब्दुल्ला का भावनात्मक भाषण: न्याय और राज्य का दर्जा देने का आह्वान

पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के विधानसभा में दिए गए भावुक संबोधन और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने पर उनके रुख पर नजर डालें।
परिचय
28 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा में एक मार्मिक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले पर बात की, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई। उनके भाषण ने न केवल इस जघन्य कृत्य की निंदा की, बल्कि क्षेत्र के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने पर बहस को फिर से हवा दे दी।
पहलगाम आतंकी हमला: एक दुखद घटना
यह हमला 22 अप्रैल, 2025 को हुआ था, जब जम्मू-कश्मीर के एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल पहलगाम के पास बैसरन घाटी में बंदूकधारियों ने पर्यटकों पर गोलियां चलाईं। हमलावरों की पहचान पाकिस्तान स्थित समूह “कश्मीर प्रतिरोध” के आतंकवादियों के रूप में की गई है, जिन्होंने भारतीय और नेपाली नागरिकों को निशाना बनाया, जिसके परिणामस्वरूप 26 लोग मारे गए और कई घायल हो गए। इस घटना को हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में नागरिकों पर सबसे घातक हमलों में से एक बताया गया है।
उमर अब्दुल्ला का भावनात्मक संबोधन
अपने भाषण में मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने हमले पर गहरा दुख और गुस्सा व्यक्त किया। उन्होंने पीड़ितों के नाम पढ़े, उनके जीवन को श्रद्धांजलि दी और अपराधियों की निंदा की। उन्होंने कहा, “इस नरसंहार ने हमें अंदर से खोखला कर दिया है,” उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों पर इस त्रासदी के गहरे प्रभाव को उजागर किया।
अब्दुल्ला ने ऐसी विपत्ति के सामने लोगों की एकता पर जोर देते हुए कहा, “देश का हर हिस्सा, उत्तर से दक्षिण तक और पूर्व से पश्चिम तक, इस जघन्य कृत्य की चपेट में है।” उन्होंने आतंकवाद से लड़ने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक प्रयास का आह्वान किया।
पूर्ण राज्य के दर्जे पर बहस
सत्र के दौरान जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का मुद्दा उठाया गया। मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा, “हम जो हमसे छीना गया है उसे बहाल करने में एक दिन भी बर्बाद नहीं करेंगे।” उन्होंने 2019 में क्षेत्र के विशेष दर्जे को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना की और राज्य का दर्जा तुरंत बहाल करने की मांग की।
अब्दुल्ला की टिप्पणी विधान सभा के कई सदस्यों को पसंद आई, जिन्होंने उनकी भावनाओं को दोहराया और पूर्ण राज्य का दर्जा वापस करने की मांग की। नेशनल कॉन्फ्रेंस, जिस पार्टी का वह नेतृत्व करते हैं, इस मुद्दे की वकालत करने में सबसे आगे रही है, इसे क्षेत्र की राजनीतिक स्वायत्तता और विकास के लिए आवश्यक मानती है।
सरकार की प्रतिक्रिया और सुरक्षा उपाय
हमले के जवाब में, केंद्र सरकार ने अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने का संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना की निंदा की और क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई उपायों की घोषणा की। इनमें नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर निगरानी बढ़ाना, आतंकवाद विरोधी अभियान तेज करना और सीमा पर सख्त नियंत्रण शामिल हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपनी संवेदना व्यक्त की और जनता को आश्वासन दिया कि सरकार भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी। व्यवस्था बनाए रखने और निवासियों और पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की है। उस समय भारत की यात्रा पर आए अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने हिंसा की निंदा की और पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारत के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया और आतंकवाद से निपटने में वैश्विक सहयोग की आवश्यकता दोहराई।
पाकिस्तान ने हमले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है, इसके अधिकारियों ने हिंसा की निंदा की है और स्वतंत्र जांच की मांग की है। हालांकि, दोनों देशों के बीच तनाव अभी भी बना हुआ है, भारत ने पाकिस्तान पर जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी समूहों को पनाह देने और उनका समर्थन करने का आरोप लगाया है।
पहलगाम आतंकी हमले ने एक बार फिर सुरक्षा और राजनीतिक स्वायत्तता के मामले में जम्मू-कश्मीर के सामने आने वाली चुनौतियों को सामने ला दिया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का भावनात्मक संबोधन इस क्षेत्र की दृढ़ता और न्याय तथा राज्य के दर्जे के लिए चल रहे संघर्ष की याद दिलाता है। जैसे-जैसे जांच जारी है और सुरक्षा उपाय मजबूत हो रहे हैं, जम्मू-कश्मीर के लोग शांति और सम्मान की अपनी खोज में दृढ़ बने हुए हैं।