अमेरिकी टैरिफ़ कदमों के बाद तेल की कीमतों में गिरावट से रूस को आर्थिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है

रूस की अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी टैरिफ और घटती तेल कीमतों का गंभीर असर, क्रेमलिन ने स्थिति को बताया चिंताजनक।
अमेरिका द्वारा कई देशों पर टैरिफ लगाने के फैसले के बाद वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। इस गिरावट ने रूस की अर्थव्यवस्था पर गहरी चिंता पैदा कर दी है, क्योंकि उसका बजट काफी हद तक तेल निर्यात पर आधारित है।
ब्रेंट क्रूड की कीमतें घटकर लगभग 63 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच गईं, जबकि रूस के यूराल क्रूड की कीमतें 50 डॉलर के करीब हैं। क्रेमलिन के अनुसार, यह स्थिति 'बेहद अस्थिर' है और सरकार इसे गंभीरता से ले रही है।
राष्ट्रपति पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने बताया कि सरकार इस स्थिति पर लगातार नज़र रख रही है और इससे निपटने के लिए रणनीति तैयार की जा रही है।
रूस की वार्षिक बजट योजना ऊँची तेल कीमतों को ध्यान में रखकर बनाई जाती है। ऐसे में यदि कीमतें इसी स्तर पर बनी रहीं, तो सरकार को घाटा झेलना पड़ सकता है और सार्वजनिक खर्चों में कटौती करनी पड़ सकती है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यह स्थिति लंबी चली, तो इससे न केवल मुद्रा की कीमत पर असर होगा, बल्कि रूसी नागरिकों को महंगाई का भी सामना करना पड़ेगा।
अब रूस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है—अपनी अर्थव्यवस्था को तेल पर निर्भरता से निकालना। सरकार कृषि, टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देने पर विचार कर रही है।
वहीं, ओपेक+ जैसे अंतरराष्ट्रीय समूहों के साथ रूस नई रणनीति पर चर्चा कर सकता है, जिससे तेल उत्पादन में संतुलन बना रहे।
वर्तमान में, सरकार और राष्ट्रपति कार्यालय के बीच लगातार बैठकें हो रही हैं ताकि इस आर्थिक संकट से कैसे निपटा जाए, इस पर विस्तृत चर्चा की जा सके।
भविष्य की राह कठिन हो सकती है, लेकिन रूस पहले भी ऐसे संकटों से उबर चुका है। इस बार भी वह अपनी नीतियों और वैश्विक साझेदारियों के जरिए एक स्थिर दिशा की ओर कदम बढ़ा सकता है।