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आज भारतीय शेयर बाजार में गिरावट क्यों आई: वैश्विक तनाव और आर्थिक कारक

Why the Indian Share Market Fell Today Global Tensions and Economic Factors
पढ़ने का समय: 7 मिनट
Rachna Kumari

पहलगाम आतंकी हमले सहित बढ़ते वैश्विक तनाव, भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव और अमेरिकी बाजार से कमजोर संकेतों के कारण आज भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई।

भू-राजनीतिक तनाव, आर्थिक अनिश्चितता और नकारात्मक वैश्विक बाजार संकेतों के संयोजन से आज भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट आई। पहलगाम आतंकी हमले के चलते भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के साथ-साथ निवेशकों की चिंता बढ़ गई है और बाजार में गिरावट आई है।

सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट

बीएसई सेंसेक्स कमजोर रुख के साथ खुला और पूरे कारोबारी सत्र में इसमें गिरावट जारी रही। एक समय तो यह 600 से अधिक अंक गिर गया। इसी तरह, एनएसई निफ्टी में भी भारी गिरावट आई और इसमें 150 से अधिक अंक की गिरावट आई, क्योंकि निवेशकों ने बढ़ती अनिश्चितता के बीच जोखिमपूर्ण परिसंपत्तियों से बाहर निकलने का फैसला किया।

बाजार विश्लेषकों ने इस तीव्र गिरावट के लिए बाह्य और घरेलू दोनों कारकों को जिम्मेदार ठहराया, मुख्य रूप से भू-राजनीतिक अशांति और अमेरिकी बाजार से आई घबराहट भरी धारणा को।

वैश्विक संकेत: अमेरिकी बाजार में कमजोर प्रदर्शन

भारतीय इक्विटी पर दबाव को बढ़ाते हुए, अमेरिकी शेयर बाजार रात भर मंदी के साथ बंद हुआ। आगामी ब्याज दरों में बढ़ोतरी और प्रमुख अमेरिकी फर्मों के कमजोर आय परिणामों की चिंताओं के कारण डॉव जोन्स और नैस्डैक जैसे प्रमुख सूचकांकों में गिरावट आई। इसने वैश्विक स्तर पर निवेशकों की धारणा को कमजोर कर दिया और भारत सहित एशियाई बाजारों में बिकवाली को बढ़ावा दिया।

पहलगाम आतंकी हमले और क्षेत्रीय तनाव का प्रभाव

पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने न केवल पूरे देश को झकझोर दिया, बल्कि वित्तीय बाजारों को भी हिलाकर रख दिया। भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव और बढ़ने की आशंका ने विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) को सतर्क रुख अपनाने के लिए प्रेरित किया है। संभावित सैन्य कार्रवाई या कूटनीतिक तनाव की चिंताओं ने शेयर बाजार के व्यवहार में अस्थिरता को बढ़ा दिया है।

निवेशक भारत सरकार और रक्षा अधिकारियों के बयानों पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं, जिनसे आने वाले दिनों में बाज़ार के भरोसे पर असर पड़ने की उम्मीद है। रक्षा खर्च में वृद्धि या व्यापार प्रतिबंध भी बाज़ार की स्थिरता पर असर डाल सकते हैं।

सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र

आज लगभग सभी प्रमुख सेक्टरों में गिरावट देखी गई, जिसमें बैंकिंग, आईटी, ऑटो और रियल्टी शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई। व्यापक आर्थिक अस्थिरता की आशंकाओं के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर खासा असर पड़ा, जबकि वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों के कमजोर पूर्वानुमानों के बाद आईटी शेयरों में गिरावट आई।

ऊर्जा और रक्षा-संबंधित शेयरों में कुछ तेजी देखी गई, क्योंकि निवेशकों ने सुरक्षा खतरों के मद्देनजर सरकारी खर्च पर अटकलें लगाईं। हालांकि, यह समग्र मंदी के मूड को संतुलित करने के लिए पर्याप्त नहीं था।

बाजार विशेषज्ञों ने सावधानी बरतने की सलाह दी

वित्तीय विशेषज्ञों और ब्रोकरेज फर्मों ने निवेशकों को निकट भविष्य में सतर्क रहने की सलाह दी है। वरिष्ठ विश्लेषक राकेश मेहता के अनुसार, “हम भावना-संचालित सुधार देख रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के अंतर्निहित मूल तत्व मजबूत बने हुए हैं, लेकिन वैश्विक अनिश्चितताएं अल्पकालिक बाजार व्यवहार पर भारी पड़ रही हैं।”

उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक निवेशकों को इस गिरावट को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए, लेकिन अल्पकालिक व्यापारियों को भू-राजनीतिक मोर्चे पर स्पष्टता आने तक आगे की अस्थिरता के लिए तैयार रहना चाहिए।

रुपए और कच्चे तेल के रुझान से दबाव बढ़ा

आज के बाजार में गिरावट का एक और कारण भारतीय रुपये का अवमूल्यन था, जो विदेशी निवेशकों द्वारा पैसा निकालने के कारण अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिर गया। इसके अतिरिक्त, क्षेत्रीय संघर्ष की आशंकाओं के बीच कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई, जिससे भारत में मुद्रास्फीति के दबाव के बारे में चिंताएँ बढ़ गईं।

आगे की ओर देखें: निवेशकों को क्या उम्मीद करनी चाहिए

आने वाले दिनों में उतार-चढ़ाव रहने की उम्मीद है। देखने वाली मुख्य बातें वैश्विक नेताओं के बयान हैं, खासकर भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे कूटनीतिक आदान-प्रदान के मद्देनजर। आगामी अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैठक भी वैश्विक निवेशक व्यवहार को आकार देने में महत्वपूर्ण होगी।

विशेषज्ञों का सुझाव है कि घरेलू निवेशकों को भारत के कॉर्पोरेट आय सीजन पर नज़र रखनी चाहिए, जो अभी चल रहा है। सकारात्मक परिणाम कुछ बाहरी नकारात्मकता को दूर करने और बाजारों में स्थिरता लाने में मदद कर सकते हैं।

अंतिम निष्कर्ष

आज की बाजार गिरावट इस बात की याद दिलाती है कि वैश्विक घटनाएं और सुरक्षा चुनौतियां वित्तीय बाजारों को किस तरह गहराई से प्रभावित कर सकती हैं। सीमाओं के पार तनाव बढ़ने के साथ ही बाजारों के संवेदनशील और प्रतिक्रियाशील बने रहने की उम्मीद है। निवेशकों के लिए, इस अशांत दौर से निपटने के लिए धैर्य और रणनीतिक योजना बनाना बहुत ज़रूरी होगा।


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