पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया कालीघाट स्काईवॉक का उद्घाटन

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता के कालीघाट स्काईवॉक का उद्घाटन किया, जिससे मंदिर तक पहुंचना और भी आसान हो गया है। जानें इस परियोजना की खास बातें।

14 अप्रैल 2025 को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता के प्रसिद्ध कालीघाट मंदिर के पास निर्मित स्काईवॉक का उद्घाटन किया। यह स्काईवॉक शहर की एक प्रमुख अवसंरचना परियोजना है, जिसका उद्देश्य श्रद्धालुओं को सुरक्षित और सुगम मार्ग प्रदान करना है।

एक पुराना सपना हुआ पूरा
डाकेश्वर मंदिर के स्काईवॉक की सफलता के बाद, ममता बनर्जी ने कालीघाट मंदिर क्षेत्र में भी ऐसा ही मॉडल लाने का वादा किया था। यह स्काईवॉक न केवल भीड़ को नियंत्रित करेगा, बल्कि श्रद्धालुओं को सुगम और सुविधाजनक यात्रा का अनुभव भी देगा।


परियोजना की प्रमुख विशेषताएं
- यह स्काईवॉक एस.पी. मुखर्जी रोड को सीधे कालीघाट मंदिर से जोड़ता है।
- ₹82 करोड़ की लागत से बना यह प्रोजेक्ट जमीन अधिग्रहण और फुटपाथी दुकानदारों के पुनर्वास के कारण कई वर्षों तक रुका रहा।
- इस संरचना को त्योहारों और अधिक भीड़भाड़ के समय को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है।

स्थानीय व्यापारियों से संवाद
इस परियोजना के तहत, प्रशासन ने फुटपाथी दुकानदारों से लगातार बातचीत की और उन्हें हज़रा पार्क जैसे वैकल्पिक स्थानों पर स्थानांतरित किया। इस प्रयास में यह सुनिश्चित किया गया कि किसी की आजीविका पर असर न पड़े।

संस्कृति और धरोहर के संरक्षण की पहल
इस स्काईवॉक के साथ ही कालीघाट मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य भी किया गया, जिसमें निजी कंपनियों ने भी योगदान दिया। यह परियोजना शहर की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

जनता की प्रतिक्रिया
पौला बोइशाख (बंगाली नववर्ष) की पूर्व संध्या पर उद्घाटन के चलते स्थानीय लोग और पर्यटक बहुत उत्साहित दिखे। लोगों ने मंदिर पहुंचने के लिए इस नई सुविधा की सराहना की और इसे मुख्यमंत्री द्वारा किया गया एक सराहनीय प्रयास बताया।

भविष्य की दिशा
कालीघाट स्काईवॉक की सफलता से अन्य भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में भी ऐसे प्रोजेक्ट की संभावनाएं बढ़ गई हैं। यह शहरी योजनाओं और सांस्कृतिक स्थलों के समन्वय का एक शानदार उदाहरण बनकर उभरा है।

कोलकाता जैसे सांस्कृतिक शहर में, इस प्रकार की योजनाएं न केवल यातायात और भीड़ नियंत्रण में मदद करती हैं, बल्कि परंपरा और आधुनिकता के सुंदर मेल को भी दर्शाती हैं।
