पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ मस्जिदों से गूंजा विरोध, कश्मीर में एकता और शांति की अपील

पहलगाम आतंकी हमले के बाद कश्मीर की मस्जिदों से आतंकवाद के खिलाफ आवाज़ बुलंद हुई। लाउडस्पीकर के जरिए शांति और एकता का संदेश फैलाया गया।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले के विरोध में घाटी की कई मस्जिदों से लाउडस्पीकर के जरिए आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश दिया गया। धार्मिक नेताओं और स्थानीय निवासियों ने एक सुर में इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि यह इस्लाम और कश्मीरी संस्कृति के विरुद्ध है।
घाटी से उठा मजबूत संदेश
अनंतनाग और आसपास के क्षेत्रों की मस्जिदों से हमले के तुरंत बाद ऐलान किया गया कि ऐसी हिंसक घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। धार्मिक प्रवक्ताओं ने कहा कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता और इसका समर्थन नहीं किया जा सकता।
शांति और भाईचारे की अपील
मौलवियों ने लोगों से शांति बनाए रखने और अफवाहों से बचने की अपील की। जुमे की नमाज़ के दौरान एक धार्मिक नेता ने कहा, “यह हमारा धर्म नहीं है, न ही यह हमारी तहज़ीब है”, जिसे सुनकर नमाज़ियों ने समर्थन में हामी भरी।
जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय नागरिकों ने इस पहल का स्वागत किया और सोशल मीडिया पर मस्जिदों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। लोगों ने कहा कि घाटी अब शांति चाहती है, और आतंकवादियों के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना ज़रूरी है।
सुरक्षा व्यवस्था सख्त
हमले के बाद प्रशासन ने इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। पहलगाम और आसपास के क्षेत्रों में गश्त बढ़ा दी गई है और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। सरकार ने दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ने का भरोसा दिलाया है।
इंसाफ की मांग
धार्मिक नेताओं ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की कि पीड़ितों को न्याय मिले और इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सख्त कदम उठाए जाएं। उन्होंने कट्टरपंथ को रोकने के लिए सामाजिक जागरूकता और शिक्षा को ज़रूरी बताया।
धार्मिक नेताओं का सख्त रुख
कई प्रसिद्ध इस्लामिक स्कॉलर्स ने आतंकवाद की खुलकर निंदा करते हुए कहा कि यह इस्लाम की शिक्षाओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में जान की हिफाजत सबसे बड़ी नेकी है और निर्दोषों की हत्या को हरगिज़ जायज़ नहीं ठहराया जा सकता।
कश्मीर की मस्जिदों से आतंकवाद के खिलाफ गूंजती आवाज़ यह साबित करती है कि घाटी अब हिंसा नहीं, बल्कि अमन चाहती है। यह सामूहिक विरोध एक महत्वपूर्ण संकेत है कि कश्मीरवासी अब शांति, भाईचारा और इंसाफ की राह पर चलना चाहते हैं।