गुजरात में मॉक ड्रिल की तैयारी, ऑपरेशन शील्ड के तहत सुरक्षा अभ्यास कल शाम से शुरू

गुजरात में ऑपरेशन शील्ड के अंतर्गत जिला स्तर पर मॉक ड्रिल की योजना बनाई गई है। जानें इस सुरक्षा अभ्यास से जुड़ी सारी अहम बातें।
गांधीनगर, गुजरात: गुजरात में सुरक्षा तैयारियों को लेकर एक बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य के राजस्व विभाग की अपर मुख्य सचिव श्रीमती जयंती रवि ने आज एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार राज्यभर में “ऑपरेशन शील्ड” (Operation Shield) को लागू करने का आदेश मिला है। इस सिलसिले में आज सुबह मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल एवं उनके मंत्रिमंडल के साथ एक विशेष बैठक आयोजित की गई थी।
इस उच्च स्तरीय बैठक के पश्चात, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिला कलेक्टर्स, नगरपालिका आयुक्तों, पुलिस आयुक्तों, एसपी तथा अन्य संबंधित विभागों के साथ विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। राज्य सरकार की इस योजना का उद्देश्य राज्य की आपदा प्रबंधन क्षमता को सशक्त बनाना है, जिससे किसी भी प्रकार की आपात स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।
क्या है ऑपरेशन शील्ड?
“ऑपरेशन शील्ड” एक राज्यव्यापी सुरक्षा अभ्यास है, जिसका उद्देश्य संभावित खतरों की पूर्व तैयारी करना और प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत करना है। इसमें विभिन्न प्रकार की मॉक ड्रिल्स (Mock Drills) करवाई जाएंगी, जिससे राज्य की सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता और समन्वय का मूल्यांकन किया जा सके।
कल शाम 5 बजे से 7 प्रकार की सिमुलेशन ड्रिल
श्रीमती जयंती रवि के अनुसार, कल शाम 5 बजे से राज्य के सभी जिलों में 7 अलग-अलग प्रकार की सिमुलेशन ड्रिल्स आयोजित की जाएंगी। इन अभ्यासों में वास्तविक आपातकालीन परिस्थितियों की तरह माहौल बनाकर प्रतिक्रिया प्रक्रिया का आकलन किया जाएगा। इन ड्रिल्स में शामिल होंगे – आगजनी, आतंकवादी हमला, औद्योगिक दुर्घटना, बाढ़, भूकंप, रासायनिक रिसाव और हवाई हमला।
राज्य के विभिन्न विभाग इन ड्रिल्स में भाग लेंगे और अपने उत्तरदायित्वों का पालन करेंगे। हर जिले में विशेष टीमें बनाई जा रही हैं, जिनके माध्यम से अभ्यास की निगरानी की जाएगी।
हवाई हमले की सिमुलेशन भी शामिल
इस सुरक्षा अभ्यास का एक विशेष पहलू हवाई हमले की सिमुलेशन है, जो राज्य में पहली बार इस स्तर पर किया जाएगा। इस अभ्यास का उद्देश्य यह देखना है कि किसी संभावित हवाई हमले की स्थिति में स्थानीय प्रशासन, पुलिस, आपातकालीन सेवाएं और नागरिक किस प्रकार प्रतिक्रिया देते हैं।
इस सिमुलेशन के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी संबंधित एजेंसियों की त्वरित प्रतिक्रिया कैसे होनी चाहिए और उनमें तालमेल कितना प्रभावी है।
मुख्यमंत्री का निर्देश और राज्य सरकार की सक्रियता
मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने इस अभियान को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात कही है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं होनी चाहिए और सभी विभागों को आपस में समन्वय बनाए रखते हुए मॉक ड्रिल्स को सफल बनाना है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि इन अभ्यासों से प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर आगे की सुरक्षा रणनीतियों का निर्माण किया जाएगा।
राज्य की जनता के लिए क्या मायने रखता है यह अभ्यास?
इस व्यापक सुरक्षा अभ्यास का सीधा प्रभाव राज्य की आम जनता की सुरक्षा और आपातकालीन सेवाओं की तत्परता पर पड़ेगा। जब सरकार और संबंधित विभाग आपस में समन्वयित होकर कार्य करते हैं, तो किसी भी आपदा के समय जान-माल की हानि को न्यूनतम किया जा सकता है।
राज्य सरकार ने जनता से अनुरोध किया है कि वे मॉक ड्रिल्स के समय घबराएं नहीं और संबंधित विभागों के निर्देशों का पालन करें। यह अभ्यास न केवल प्रशासनिक तैयारी को दर्शाता है, बल्कि आम जनता की जागरूकता बढ़ाने में भी सहायक होगा।
डिजास्टर मैनेजमेंट का नया अध्याय
गुजरात सरकार का यह कदम डिजास्टर मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ता है। राज्य में अक्सर भूकंप, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं आती रही हैं। ऐसे में राज्य की तैयारियों को समय-समय पर जांचना और उन्हें आधुनिक बनाना अत्यंत आवश्यक हो गया है।
“ऑपरेशन शील्ड” जैसे अभियानों के माध्यम से राज्य सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि किसी भी प्रकार की आपदा या आतंकी खतरे से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह तैयार हो। इससे न केवल जनता का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि देशभर में गुजरात एक मॉडल स्टेट के रूप में स्थापित होगा।
अंतिम शब्द
राज्य में चल रहे “ऑपरेशन शील्ड” के अंतर्गत होने वाले मॉक ड्रिल्स एक बड़ा और साहसिक कदम हैं। इससे न केवल सरकारी महकमों की तैयारियों की परीक्षा होगी, बल्कि समग्र प्रशासनिक व्यवस्था की मजबूती का भी आकलन होगा। गृह मंत्रालय और मुख्यमंत्री कार्यालय की इस पहल से यह स्पष्ट हो गया है कि गुजरात सरकार सुरक्षा और आपदा प्रबंधन को लेकर कितनी सजग और गंभीर है।
यह अभ्यास न केवल राज्य की वर्तमान सुरक्षा रणनीति को परखने का मौका देगा, बल्कि भविष्य की आपदाओं से निपटने में भी मार्गदर्शन प्रदान करेगा। जनता को भी इसमें सहयोग करना चाहिए ताकि एक सुरक्षित और सजग गुजरात का निर्माण संभव हो सके।