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केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आरक्षण सिद्धांत के साथ यूपीएससी पार्श्व भर्ती पर पीएम मोदी के फैसले की सराहना की

Union Minister Ashwini Vaishnaw Commends PM Modi Decision on UPSC Lateral Recruitment with Reservation Principles
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Amit Kumar Jha

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यूपीएससी पार्श्व भर्ती में आरक्षण सिद्धांतों को लागू करने के पीएम मोदी के फैसले की प्रशंसा की, सामाजिक न्याय और बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान के प्रति प्रतिबद्धता पर जोर दिया।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की पार्श्व प्रवेश प्रक्रिया में आरक्षण के सिद्धांतों को शामिल करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया फैसले की सराहना की है। वैष्णव के अनुसार, यह कदम बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान में निहित मूल्यों, विशेष रूप से सामाजिक न्याय को बनाए रखने के प्रति पीएम मोदी की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

एक ऐतिहासिक निर्णय

इस मामले पर बोलते हुए वैष्णव ने कहा, "आज पीएम मोदी ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय के माध्यम से बाबासाहेब के संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है। यूपीएससी में लेटरल एंट्री की बेहद पारदर्शी पद्धति में आरक्षण के सिद्धांतों को लागू करने का निर्णय लिया गया है।" यह निर्णय यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है कि सरकारी भर्ती के सभी पहलुओं में सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को बनाए रखा जाए, जिसमें लेटरल एंट्री भी शामिल है, जो परंपरागत रूप से आरक्षण नीतियों के दायरे से बाहर रही है।

सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता

वैष्णव ने इस बात पर जोर दिया कि यह निर्णय प्रधानमंत्री के सामाजिक न्याय पर लगातार ध्यान केंद्रित करने के अनुरूप है। वैष्णव ने कहा, "पीएम मोदी ने हमेशा सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।" उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यूपीएससी पार्श्व भर्ती में आरक्षण सिद्धांतों का कार्यान्वयन सभी के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का एक और प्रमाण है, खासकर हाशिए पर पड़े और कम प्रतिनिधित्व वाले समुदायों के लोगों के लिए।

पिछली सरकारों की आलोचना

वैष्णव ने पिछली यूपीए सरकार की तीखी आलोचना करते हुए सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया, खास तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान पार्श्व भर्ती के संदर्भ में। उन्होंने कहा, "यूपीए सरकार के दौरान आरक्षण के सिद्धांतों को ध्यान में नहीं रखा गया।" उन्होंने कांग्रेस पार्टी को इन आरोपों का जवाब देने की चुनौती देते हुए कहा, "क्या कांग्रेस ने उस समय सिद्धांत को ध्यान में रखा था? उन्हें इसका जवाब देना चाहिए..."

पारदर्शिता का महत्व

केंद्रीय मंत्री ने पार्श्व भर्ती के लिए मौजूदा सरकार के दृष्टिकोण की पारदर्शिता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया को खुला और योग्यता आधारित बनाया गया है, जबकि आरक्षण के सिद्धांतों का पालन करना भी जरूरी है जो सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिए जरूरी है। वैष्णव के अनुसार, यह पारदर्शी तरीका सुनिश्चित करता है कि भर्ती प्रक्रिया निष्पक्ष हो और यह बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा निर्धारित संवैधानिक मूल्यों का सम्मान करे।

आगे की ओर देखना

इस निर्णय से भविष्य में पार्श्व भर्ती के संचालन के तरीके पर दूरगामी प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। आरक्षण सिद्धांतों को शामिल करके, सरकार का लक्ष्य सिविल सेवाओं को अधिक समावेशी और भारत की विविध आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाला बनाना है। यह संविधान को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में एक मजबूत संदेश भी भेजता है कि समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांत शासन के सभी पहलुओं में परिलक्षित होते हैं।

जैसे-जैसे सरकार इस नई नीति के क्रियान्वयन के साथ आगे बढ़ेगी, सभी की निगाहें यूपीएससी पार्श्व भर्ती प्रक्रिया पर होंगी कि ये बदलाव कैसे लागू होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले को सरकारी भर्ती में अधिक समावेशिता और निष्पक्षता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में सराहा गया है, जो सामाजिक न्याय और बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा समर्थित संवैधानिक मूल्यों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।


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