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भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच क्या पीएम मोदी लाएंगे पाक अधिकृत कश्मीर वापस?

Will PM Modi Reclaim PoK Rising Tensions Between India and Pakistan
पढ़ने का समय: 6 मिनट
Khushbu Kumari

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लाने की रणनीति बना रहे हैं? जानिए ताज़ा हालात और कूटनीतिक संकेत।

भारत और पाकिस्तान के संबंधों में एक बार फिर से तनाव अपने चरम पर है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले ने देशभर में आक्रोश की लहर दौड़ा दी है। इस हमले के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी रणनीतिक सोच के तहत पाक अधिकृत कश्मीर (POK) को भारत में वापस लाने की योजना बना रहे हैं?

पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर भारत पहले भी सख्त कदम उठा चुका है। सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसी कार्रवाइयों ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि अब भारत किसी भी आतंकी हमले का जवाब चुपचाप नहीं देगा। हालिया घटनाक्रमों ने एक बार फिर इस बहस को हवा दी है कि क्या अब समय आ गया है जब भारत, पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लाने के लिए निर्णायक कदम उठाएगा।

राजनीतिक समीकरण और जनता की अपेक्षाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखने की बात कही है। पिछले चुनावों में भी उन्होंने धारा 370 को हटाने जैसे ऐतिहासिक कदम उठाए, जिससे जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जे से मुक्त कर दिया गया। अब जनता की अपेक्षाएं बढ़ती जा रही हैं। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार POK को भी भारत का अभिन्न हिस्सा बनाने के लिए ठोस कार्रवाई करेगी।

सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक मंचों तक, हर जगह यह मांग जोर पकड़ रही है कि भारत को अब केवल बयानों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि ठोस सैन्य और कूटनीतिक रणनीति के तहत काम करना चाहिए।

सेना की तैयारी और संकेत

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार है। सैन्य अभ्यासों में लगातार बढ़ती गतिशीलता और अत्याधुनिक हथियारों की तैनाती इस ओर संकेत करती है कि यदि सरकार आदेश दे, तो सेना कुछ ही दिनों में बड़े लक्ष्य हासिल कर सकती है।

अधिकारी कहते हैं कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य भी भारत के पक्ष में है। अमेरिका, फ्रांस और रूस जैसे शक्तिशाली देश आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का समर्थन करते हैं। ऐसे में यदि भारत कोई बड़ा कदम उठाता है, तो अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलना भी संभव है।

कूटनीतिक चालें और रणनीति

भारत केवल सैन्य मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी पाकिस्तान को घेरने की रणनीति बना रहा है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद प्रायोजित करने का मुद्दा बड़े जोर-शोर से उठाया। इसके अलावा, भारत ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की नाकामियों को उजागर कर, उसकी वैश्विक छवि को धूमिल करने में सफलता पाई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पाकिस्तान लगातार आतंकी गतिविधियों को समर्थन देता रहेगा, तो भारत अपने 'POK वापसी' एजेंडे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी मजबूती से रख सकता है, जिससे पाकिस्तान पर दबाव और बढ़ेगा।

क्या होगा आगे का रास्ता?

POK को वापस लेने का मुद्दा भावनात्मक और रणनीतिक दोनों स्तरों पर अत्यंत संवेदनशील है। इसे हासिल करने के लिए सरकार को एक बहुआयामी रणनीति अपनानी होगी — जिसमें सैन्य, कूटनीतिक और आंतरिक सुरक्षा सभी पहलुओं का समन्वय आवश्यक होगा।

वर्तमान परिदृश्य में, मोदी सरकार की प्राथमिकता आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब देना है। लेकिन दीर्घकालीन दृष्टिकोण से देखा जाए, तो सरकार का उद्देश्य कश्मीर मुद्दे को पूरी तरह से हल करना भी है।

सवाल यह नहीं है कि “क्या पीएम मोदी POK वापस लाएंगे?” बल्कि सवाल यह है कि “कब और कैसे?”

जनता की भूमिका भी अहम

देशवासियों का मनोबल और समर्थन भी इस दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। राष्ट्रीय एकता, दृढ़ निश्चय और सरकार पर विश्वास — ये सभी कारक भारत को उसके लक्ष्य तक पहुंचाने में सहायक बन सकते हैं।

देश की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, सरकार को हर कदम सूझबूझ से उठाना होगा ताकि विश्व समुदाय का समर्थन भी बरकरार रहे और भारत की संप्रभुता को और अधिक मजबूती मिले।

अगले कुछ सप्ताह और महीने इस दिशा में बेहद निर्णायक साबित हो सकते हैं। भारत एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है, जहां भविष्य की रणनीतियां न केवल सीमा पर, बल्कि विश्व मंच पर भी एक नया अध्याय लिख सकती हैं।


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