मधुबनी का उगना महादेव मंदिर: विद्यापति और भगवान शिव की अलौकिक कहानी
जानें मधुबनी के उगना महादेव मंदिर की अलौकिक कहानी, जहां भगवान शिव ने विद्यापति को अपना वास्तविक रूप दिखाया था।
मधुबनी की सांस्कृतिक कहानी अपने आप में अलौकिक है। यह शहर अपनी प्राचीन कलाओं के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है और प्राचीन युग में घटी घटनाओं की गवाही भी देता है। प्राचीन युग से लेकर वर्तमान तक ऐसे अनेकों उदाहरण हैं, जो इस बात का पुख्ता प्रमाण देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव ने किस स्थल पर विद्यापति को अपना वास्तविक रूप दिखाया था?
विद्यापति के साथ रहा करते थे भोलेनाथ
इतिहासकार जनक पाठक की किताब मिथिला संस्कृति में इस बात का जिक्र है कि महादेव, विद्यापति के साथ रहा करते थे। जबकि मैथिली लोग या समूचा मिथिलांचल इस बात में आस्था रखता है कि विद्यापति के यहां भगवान शिव चाकरी (नौकरी) किया करते थे और उनके सेवक थे। हालांकि वह अपनी असल पहचान छिपाए हुए थे।
कैसे दिखा विद्यापति को शिव का स्वरूप
शिव के वास्तविक रूप से अंजान विद्यापति शिव के साथ भ्रमण पर निकले थे। इसी दौरान उन्हें प्यास लगी और उन्होंने शिवजी से पानी मांगा। आसपास केवल वन क्षेत्र होने के कारण शिवजी पानी लाने में असमर्थ हो गए। अंत में उन्हें लगा कि विद्यापति प्यास से व्याकुल है, इसलिए उन्हें जटा की गंगा से ही पानी पिलाना होगा। शिवजी थोड़ी दूर गए और उन्होंने अपनी जटा से गंगाजल निकाला और विद्यापति के कमंडल (बाल्टी) में भर दिया।
महाकवि और भगवान भोलेनाथ के अनन्य भक्त विद्यापति गंगाजल की एक घूंट पीते ही चौक उठे। उन्होंने शिव (अपने नौकर के स्वरूप) से पूछा की यह पानी कहां से लाए हो। शिवजी ने बात बनाने की कोशिश की लेकिन पकड़े गए। बाद में उन्होंने विद्यापति को अपना वास्तविक स्वरूप दिखाया। विद्यापति को तो कुछ सूझ ही नहीं रहा था, वो नतमस्तक हो गए और उन्होंने उसी स्थल पर शिव की पूजा अर्चना शुरू कर दी और उन्हें यहीं वास करने के लिए कहा। बाद में इस स्थल को उगना महादेव के नाम से जाना जाने लगा।
मधुबनी में स्थित है उगना महादेव का विशाल मंदिर
यह स्थल मधुबनी के पंडौल स्थित भगवतीपुर गांव में है। उगना महादेव का मंदिर बेहद ही विशाल है। इसके चारों और कई और मंदिर भी बनाए गए हैं। भगवान शिव के साथ माता पार्वती के मंदिर को भी जोड़ा गया है। वहीं दूसरी ओर गणेश, कार्तिकेय हनुमान सहित कई देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर परिसर में हजारों की भीड़ रोजाना जमा रहती है, जो शिव की आराधना करते हैं। माना जाता है कि यहां पूजा अर्चना करने से मनोकामना पूरी होती है।