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ट्रंप प्रशासन के निशाने पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, अंतरराष्ट्रीय छात्रों और नीति को लेकर टकराव तेज

America Ivy Clash Harvard vs Trump Administration
पढ़ने का समय: 3 मिनट
Khushbu Kumari

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर ट्रंप प्रशासन का दबाव बढ़ता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय छात्रों के प्रवेश पर रोक और टैक्स छूट खत्म करने की चेतावनी के बाद शिक्षाजगत में हलचल मच गई है।

अमेरिका की प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी इन दिनों ट्रंप प्रशासन के तीव्र दबाव का सामना कर रही है। मामला इतना गंभीर हो गया है कि यूनिवर्सिटी को विदेशी छात्रों के प्रवेश पर रोक और टैक्स छूट खत्म करने की चेतावनी दी गई है।

डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने हार्वर्ड से उसके अंतरराष्ट्रीय छात्रों की गतिविधियों से जुड़ा विस्तृत डेटा मांगा है। यदि यूनिवर्सिटी समय पर जानकारी नहीं देती है, तो उसे अंतरराष्ट्रीय छात्रों को नामांकित करने का विशेषाधिकार गंवाना पड़ सकता है।

इतना ही नहीं, प्रशासन ने हार्वर्ड को मिलने वाले 2 अरब डॉलर से अधिक के फेडरल शोध अनुदान को भी रोक दिया है। यह कदम यूनिवर्सिटी पर दबाव बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है, ताकि वह अपने कैंपस की नीतियों, विविधता कार्यक्रमों और छात्र समूहों के संचालन में बदलाव करें।

हार्वर्ड के कार्यवाहक अध्यक्ष एलन गारबर ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि संस्थान संविधान प्रदत्त अधिकारों और अकादमिक स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध है। यूनिवर्सिटी का मानना है कि प्रशासन का यह कदम उच्च शिक्षा की स्वायत्तता पर गंभीर हमला है।

इस घटनाक्रम ने अमेरिका के शैक्षणिक जगत में व्यापक प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। कोलंबिया, स्टैनफोर्ड और प्रिंसटन जैसे नामी विश्वविद्यालयों ने हार्वर्ड के पक्ष में आवाज उठाई है। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और मैसाचुसेट्स की गवर्नर मौरा हीली ने भी हार्वर्ड को समर्थन दिया है।

यह टकराव केवल एक विश्वविद्यालय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस व्यापक बहस का हिस्सा बन चुका है जो उच्च शिक्षा में सरकारी हस्तक्षेप बनाम संस्थागत स्वायत्तता को लेकर लंबे समय से जारी है। आने वाले दिनों में इस विवाद का परिणाम अमेरिका के शिक्षा तंत्र पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।


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