1971 के नरसंहार पर पाकिस्तान से माफी और मुआवजे की मांग

1971 के युद्ध अपराधों के लिए बांग्लादेश ने पाकिस्तान से आधिकारिक माफी और मुआवजे की मांग की है। यह मांग दोनों देशों के बीच रिश्तों में नई हलचल पैदा कर सकती है।
बांग्लादेश ने 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान हुए जघन्य अपराधों को लेकर पाकिस्तान से सार्वजनिक माफी और आर्थिक मुआवजे की मांग दोहराई है। यह गंभीर और ऐतिहासिक मांग हाल ही में हुई उच्चस्तरीय वार्ता में सामने आई, जिसमें 15 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद दोनों देशों के अधिकारी आमने-सामने बैठे।
बांग्लादेश के विदेश सचिव जशिम उद्दीन ने स्पष्ट किया कि 1971 में पाकिस्तान की सेना द्वारा किए गए नरसंहार को केवल इतिहास का हिस्सा मानना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान आधिकारिक रूप से इन अपराधों की जिम्मेदारी नहीं लेता, तब तक सच्चा मेल-मिलाप संभव नहीं है।
इस वार्ता में बांग्लादेश ने चार प्रमुख मांगें रखीं — stranded पाकिस्तानियों की वापसी, 1971 से पहले की संयुक्त संपत्तियों में उसका हिस्सा, विदेशी सहायता की वापसी जो चक्रवात राहत के लिए भेजी गई थी, और अंततः 1971 के अत्याचारों के लिए औपचारिक माफी।
इस संघर्ष के दौरान करीब तीन मिलियन लोगों की मौत हुई थी और हजारों महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया था। यह नरसंहार बांग्लादेश के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने में आज भी गहराई से दर्ज है।
आर्थिक रूप से, बांग्लादेश ने 4.3 बिलियन डॉलर की मुआवजे की मांग की है, जो 1971 से पहले की संपत्तियों में उसके हिस्से के रूप में दर्शाया गया है। यह मांग केवल भूतकाल की भरपाई नहीं बल्कि भविष्य के संबंधों में पारदर्शिता की आवश्यकता पर भी बल देती है।
पाकिस्तान की ओर से अब तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान शांति बनाए रखने और संबंध सुधारने को लेकर इच्छुक है। हालांकि, माफी की मांग को लेकर वह अब तक असमंजस की स्थिति में दिखाई देता है।
इस ऐतिहासिक वार्ता को क्षेत्रीय समीकरणों में बदलाव की शुरुआत माना जा रहा है। बांग्लादेश अब अपनी विदेश नीति में संतुलन की ओर अग्रसर होता दिख रहा है, जो भारत के साथ परंपरागत संबंधों के इतर एक नई कूटनीतिक राह को दर्शाता है।
इस पहल को लेकर मानवाधिकार संगठनों ने भी समर्थन जताया है। उनका मानना है कि 1971 में हुए अपराधों को भुलाया नहीं जा सकता और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए यह एक आवश्यक कदम है।
अब निगाहें पाकिस्तान के रुख पर टिकी हैं। क्या वह माफी मांग कर नए सिरे से संबंधों की शुरुआत करेगा या फिर यह मांग एक बार फिर अनसुनी रह जाएगी? यह भविष्य ही बताएगा।
बहरहाल, बांग्लादेश का यह कदम केवल अतीत को उजागर करने का प्रयास नहीं, बल्कि दोनों देशों के लिए एक नयी और न्यायसंगत शुरुआत की माँग भी है।