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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता में भारत को कुवैत का समर्थन

Kuwait Supports Indias Bid for Permanent Membership in UNSC
पढ़ने का समय: 5 मिनट
Maharanee Kumari

Kuwait’s envoy expresses support for India’s permanent seat in the United Nations Security Council, citing India’s global role and leadership in peacekeeping efforts.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्य बनने की भारत की महत्वाकांक्षा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक और समर्थन मिला है। इस बार यह समर्थन कुवैत से आया है। हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र में कुवैत के स्थायी प्रतिनिधि तारिक अलबनाई ने सुरक्षा परिषद सुधारों पर इंटरगवर्नमेंटल नेगोशिएशन (IGN) के दौरान भारत का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने भारत को स्थायी सीट का उपयुक्त उम्मीदवार बताया।

अलबनाई ने भारत की वैश्विक शांति, स्थिरता और विकास में निरंतर योगदान की सराहना की। उन्होंने भारत की अंतरराष्ट्रीय मामलों में नेतृत्व की भूमिका और शांति अभियानों में उसकी सक्रियता को रेखांकित करते हुए कहा कि वैश्विक निर्णय लेने वाली संस्थाओं में भारत की भागीदारी जरूरी है।

भारत के वैश्विक योगदान को मिली मान्यता

कुवैती राजनयिक ने भारत की सतत विकास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने बताया कि भारत ने विभिन्न संयुक्त राष्ट्र मिशनों में सक्रिय भूमिका निभाई है और विकासशील देशों की आवाज को वैश्विक मंचों पर मजबूती से रखा है। उनके अनुसार, सुरक्षा परिषद में सुधार समय की मांग है और भारत जैसे देशों को इसमें स्थायी स्थान मिलना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा परिषद की वर्तमान संरचना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की शक्ति संरचना को दर्शाती है जिसे अब बदलने की आवश्यकता है। भारत की बहुपक्षीयता में आस्था और वैश्विक जिम्मेदारियों को निभाने की क्षमता इसे एक स्वाभाविक दावेदार बनाती है।

भारत का लगातार अभियान

भारत कई वर्षों से सुरक्षा परिषद के ढांचे में सुधार और उसमें प्रतिनिधित्व बढ़ाने की वकालत करता रहा है। विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के साथ-साथ एक तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में भारत का मानना है कि वैश्विक शांति और सुरक्षा से जुड़े निर्णयों में उसकी भागीदारी आवश्यक है।

कुवैत जैसे देशों के समर्थन से भारत के इस अभियान को नई ऊर्जा मिली है। इससे पहले फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देश भी भारत की उम्मीदवारी को लेकर अलग-अलग स्तर पर समर्थन जता चुके हैं।

ग्लोबल साउथ से मजबूत समर्थन

भारत को ग्लोबल साउथ यानी विकासशील देशों से भी मजबूत समर्थन मिल रहा है। ये देश भारत को उनके हितों का पक्षधर मानते हैं। भारत ने अपने G20 अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ को मंच पर लाने और जलवायु वित्त, डिजिटल समानता जैसे विषयों को प्रमुखता देकर अपने वैश्विक कद को और मज़बूत किया है।

कुवैत का यह समर्थन खाड़ी देशों की उस भावना को भी दर्शाता है, जहां भारत के साथ रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध लगातार प्रगाढ़ हो रहे हैं। ऐसे समर्थन भविष्य में और बढ़ने की संभावना है।

आगे की राह

हालांकि, कुवैत जैसे देशों का समर्थन भारत के लिए उत्साहवर्धक है, लेकिन सुरक्षा परिषद की संरचना में बदलाव करना एक जटिल प्रक्रिया है। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा के दो-तिहाई सदस्यों की स्वीकृति के साथ-साथ वर्तमान पांच स्थायी सदस्यों — अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन — की सहमति आवश्यक है।

फिर भी, भारत को उम्मीद है कि उसके अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में बढ़ते योगदान, शांति स्थापना प्रयासों, जलवायु परिवर्तन से जुड़ी पहलों और डिजिटल समावेश के प्रयासों से उसे एक मजबूत और योग्य उम्मीदवार के रूप में देखा जाएगा। कुवैत का समर्थन भारत की इस दिशा में बढ़ती अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति को और बल प्रदान करता है।


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