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पाकिस्तान का असली मालिक पाकिस्तानी सेना है

Pakistan 76 Year Struggle Army Dominates Politics in Chaos
पढ़ने का समय: 4 मिनट
Khushbu Kumari

पाकिस्तान के 76 वर्षों में सेना का दबदबा कायम रहा है, प्रधानमंत्री का कार्यकाल कभी स्थिर नहीं हो सका। जानिए पाकिस्तान की राजनीति और सेना के प्रभाव के बारे में।

पाकिस्तान में सेना का दबदबा इस कदर हावी है कि आजादी के 76 साल बाद भी एक भी प्रधानमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। इन 76 सालों में 30 प्रधानमंत्री सत्ता में आए, लेकिन ज्यादातर समय सत्ता की असली चाबी फौज के पास रही। शेष 36 साल तो खुले तौर पर फौजी शासन रहा। पहले कहा जाता था कि पाकिस्तान को ‘अल्लाह, आर्मी और अमेरिका’ चलाते हैं, लेकिन अब अमेरिका की जगह चीन ने ले ली है। खुद को मुस्लिम राष्ट्र कहने वाला पाकिस्तान आज भी न तो स्वतंत्र है, न ही वहां जनता का शासन स्थिर हो सका है।

1947 में आजादी के बाद से पाकिस्तान में सत्ता की अस्थिरता और अव्यवस्था का माहौल रहा। वहां के प्रधानमंत्री या तो कमजोर और निकम्मे साबित हुए, या फिर फौज के सामने मजबूर। दूरदर्शिता की कमी के चलते वे विदेशी ताकतों के इशारों पर नाचते रहे। पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान 4 साल 2 महीने तक सत्ता में रहे, लेकिन उनकी हत्या ने देश को अस्थिरता की ओर धकेल दिया। इसके बाद 1951 में ख्वाजा नसीमुद्दीन 24 महीने, 1953 में मोहम्मद अली बोगरा 2 साल 3 महीने, और 1955 में चौधरी मोहम्मद अली महज 13 महीने सत्ता में टिक सके। 1957 में दो प्रधानमंत्री आए—इब्राहिम इस्माइल 2 महीने और फिरोज खान 9 महीने।

प्रधानमंत्री की कुर्सी बनी मजाक

कुछ प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल तो हास्यास्पद रूप से छोटा रहा। 1958 में अयूब खान सिर्फ 4 दिन और 1971 में नुरुल अमीन 13 दिन ही सत्ता में रहे। जुल्फिकार अली भुट्टो ने 1973 में 3 साल 10 महीने तक शासन किया, जो अपेक्षाकृत लंबा कार्यकाल था। 1988 में बेनजीर भुट्टो 20 महीने सत्ता में रहीं। 1990 में गुलाम मुस्तफा जाटोई 3 महीने और नवाज शरीफ 2 साल 5 महीने तक रहे। 2013 में मीर हजार खान 2 महीने और नवाज शरीफ फिर 4 साल 1 महीने सत्ता में रहे। इमरान खान 2018 से 2 साल 9 महीने तक प्रधानमंत्री रहे, लेकिन उन्हें भी फौज के दबाव में सत्ता छोड़नी पड़ी।

76 साल में 30 पीएम

इन 76 सालों में 30 प्रधानमंत्रियों ने 40 साल तक कथित तौर पर जनता का शासन चलाया, लेकिन असल में सत्ता फौज के हाथों में रही। बाकी 36 साल तो सैन्य तानाशाही के नाम रहे। पहले अमेरिका के इशारों पर चलने वाला पाकिस्तान अब चीन की कठपुतली बन चुका है। ‘अल्लाह, आर्मी और चीन’ आज पाकिस्तान की बागडोर थामे हुए हैं। यह विडंबना है कि 76 साल बाद भी पाकिस्तान में न तो लोकतंत्र मजबूत हुआ, न ही जनता का शासन पांच साल तक स्थिर रह सका। फौज का यह दबदबा पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता और कमजोर नेतृत्व का सबसे बड़ा सबूत है।


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