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हैदराबाद एमएलसी चुनाव में क्रॉस-वोटिंग से बदल सकता है समीकरण

MLC Elections in Hyderabad May See Surprising Turn Due to Cross Voting
पढ़ने का समय: 4 मिनट
Rachna Kumari

हैदराबाद में होने वाले एमएलसी चुनाव में बीआरएस की अनुपस्थिति और संभावित क्रॉस-वोटिंग एआईएमआईएम, भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबले को दिलचस्प मोड़ दे सकती है।

हैदराबाद की राजनीतिक तस्वीर एमएलसी चुनाव के साथ एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। जहां एआईएमआईएम, भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं, वहीं बीआरएस की अनुपस्थिति ने क्रॉस-वोटिंग की संभावनाओं को जन्म दिया है, जो परिणामों को अप्रत्याशित रूप से बदल सकता है।

तीनों पार्टियों के बीच कड़ा मुकाबला

इस बार का एमएलसी चुनाव तीन प्रमुख पार्टियों एआईएमआईएम, भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर का बन गया है। बीआरएस के मैदान में न होने से उसके समर्थकों के पास अन्य विकल्प तलाशने की स्थिति बनी है। इससे नगरसेवकों और कॉरपोरेटरों के बीच क्रॉस-वोटिंग की संभावना काफी बढ़ गई है।

चुनाव को बनाता है खास

यह चुनाव सिर्फ प्रतिभागियों के कारण खास नहीं है, बल्कि बीआरएस जैसे बड़े खिलाड़ी की अनुपस्थिति ने अस्थिरता को जन्म दिया है। हैदराबाद में स्थानीय स्तर पर राजनीतिक निष्ठाएं अक्सर बदलती रहती हैं, जिससे यह चुनाव और भी अप्रत्याशित बन गया है।

भाजपा की रणनीति

तेलंगाना में अपनी पैठ मजबूत करने के लिए भाजपा ने आक्रामक अभियान चलाया है। पार्टी बीआरएस के असंतुष्ट समर्थकों और तटस्थ वोटरों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिससे उसे बढ़त मिल सकती है।

कांग्रेस की उम्मीदें

कांग्रेस हालिया राजनीतिक लाभ को भुनाकर अपनी स्थिति को पुनः मजबूत करने की कोशिश में है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि स्थानीय निकायों के कई सदस्य कांग्रेस की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे पार्टी को अप्रत्याशित जीत की आशा है।

एआईएमआईएम का गढ़ खतरे में?

एआईएमआईएम, जो ऐतिहासिक रूप से हैदराबाद के पुराने शहर में मजबूत रही है, इस बार अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश में है। हालांकि बाहरी ताकतों की बढ़ती सक्रियता और आंतरिक मतभेदों के कारण पार्टी को नए प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

क्रॉस-वोटिंग का प्रभाव

क्रॉस-वोटिंग, जिसे पूर्वानुमान लगाना मुश्किल होता है, इस चुनाव में गेम-चेंजर साबित हो सकता है। पार्टी के भीतर मतभेद और व्यक्तिगत निर्णय कई बार पार्टी लाइन से अलग होकर मतदान का रुख तय कर सकते हैं, जिससे परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं।

हैदराबाद से परे चुनावी असर

यह चुनाव सिर्फ हैदराबाद तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे तेलंगाना की राजनीति को प्रभावित कर सकता है। यहां की हार-जीत आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति और गठबंधन की दिशा तय कर सकती है।

क्या होगा तेलंगाना की राजनीति में बड़ा मोड़?

बीआरएस के न होने से एआईएमआईएम, भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला बेहद रोचक हो गया है। क्रॉस-वोटिंग की भूमिका निर्णायक हो सकती है, जो सभी अनुमानों को पलट सकती है। जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, तनाव बढ़ रहा है और हैदराबाद एक राजनीतिक बदलाव की दहलीज पर खड़ा है।


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