अप्रैल 2025 में गुरु प्रदोष व्रत: शिव कृपा पाने का श्रेष्ठ अवसर

गुरु प्रदोष व्रत अप्रैल 2025: जानिए इस व्रत का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त। भगवान शिव की कृपा पाने के लिए कैसे करें व्रत और पूजा, यहां पढ़ें।
हिंदू धर्म की समृद्ध परंपराओं में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है और हर पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। जब यह व्रत गुरुवार के दिन पड़ता है, तो इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है।
प्रदोष व्रत का आध्यात्मिक महत्व
‘प्रदोष’ का अर्थ होता है संध्या का समय, जो भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस काल में व्रत रखकर और शिव की आराधना करके भक्त अपने पापों से मुक्ति पा सकते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
गुरु प्रदोष व्रत 2025 की तारीख और मुहूर्त
अप्रैल 2025 में गुरु प्रदोष व्रत गुरुवार, 10 अप्रैल को मनाया जाएगा। त्रयोदशी तिथि 9 अप्रैल की रात 10:55 बजे से शुरू होकर 11 अप्रैल की रात 1:00 बजे तक रहेगी। पूजा का शुभ समय यानी प्रदोष काल शाम 6:44 बजे से रात 8:59 बजे तक रहेगा।
व्रत और पूजा विधि
गुरु प्रदोष व्रत को पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक मनाया जाता है:
- प्रातः स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- व्रत: पूरे दिन निराहार या फलाहार व्रत रखें और संध्या काल तक भगवान शिव की आराधना में मन लगाएं।
- संध्या पूजन: प्रदोष काल में शिवलिंग की पंचामृत और जल से अभिषेक करें। बिल्वपत्र, सफेद फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- मंत्रोच्चारण: “ॐ नमः शिवाय” और महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
- व्रत कथा: प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें, जिससे इस व्रत का महत्व और बढ़ता है।
- प्रसाद वितरण: पूजा के पश्चात प्रसाद बांटें और व्रत पूर्ण करें।
गुरु प्रदोष व्रत के लाभ
जो श्रद्धा से गुरु प्रदोष व्रत करते हैं, उन्हें अनेक लाभ मिलते हैं:
- ईश्वरीय कृपा: भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।
- कष्टों से मुक्ति: जीवन की बाधाएं और संकट दूर होते हैं।
- स्वास्थ्य लाभ: उत्तम स्वास्थ्य और मानसिक शांति मिलती है।
- पापों से मुक्ति: पूर्व जन्म और वर्तमान जीवन के पापों से मुक्ति संभव होती है।
अप्रैल 2025 में आने वाला गुरु प्रदोष व्रत एक दिव्य अवसर है, जब भक्तगण भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत और पूजा करते हैं। यह व्रत न केवल आत्मिक बल देता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है। सच्ची श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत करके भक्त जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।