यहाँ सर्च करे

भारत की शर्तों पर पाकिस्तान ने मानी बात, सीमा पर संघर्षविराम लागू

India Enforces Ceasefire on Its Own Terms Pakistan Steps Back After DGMO Talks
पढ़ने का समय: 9 मिनट
S Choudhury

भारत की शर्तों पर पाकिस्तान ने मानी सीजफायर की बात, DGMO स्तर पर हुई बातचीत के बाद बॉर्डर पर शांति लागू। शाम 5 बजे से दोनों देशों के बीच संघर्षविराम प्रभावी।

DGMO स्तर की बातचीत के बाद सीमा पर दोनों देशों के बीच फायरिंग रोकने पर सहमति बनी, शाम 5 बजे से सीजफायर प्रभावी

नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच लम्बे समय से चल रही सीमा पर गोलीबारी और तनाव के बीच एक महत्वपूर्ण और कूटनीतिक रूप से अहम मोड़ आया है। पाकिस्तान ने भारत की शर्तों को मानते हुए सीमा पर फायरिंग रोकने और सीजफायर लागू करने पर सहमति जताई है। यह सहमति DGMO स्तर की बातचीत के बाद सामने आई, जो भारत की कूटनीतिक और सैन्य शक्ति का प्रमाण है।

गुरुवार को पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) ने भारत के DGMO को फोन कर सीमा पर चल रही गोलीबारी को बंद करने और शांति बनाए रखने की अपील की। भारत ने इस बातचीत के दौरान स्पष्ट किया कि कोई भी समझौता तभी मान्य होगा, जब वह भारत की तय की गई शर्तों पर आधारित होगा।

सीमा पर अब शांति का माहौल

इस ऐतिहासिक फोन कॉल के बाद शाम 5 बजे से दोनों देशों के बीच आधिकारिक रूप से संघर्षविराम (Ceasefire) लागू कर दिया गया। यह फैसला सीमा पर बसे आम नागरिकों के लिए एक राहत की सांस है, जो वर्षों से गोलीबारी और अस्थिरता के बीच जीने को मजबूर थे।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी दी थी कि अगर सीमा पार से गोलीबारी बंद नहीं हुई, तो भारतीय सेना करारा जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। पाकिस्तान की ओर से फायरिंग रोकने की पहल यह दर्शाती है कि भारत की सैन्य और राजनीतिक स्थिति अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और निर्णायक हो चुकी है।

भारत ने फिर दिखाया निर्णायक नेतृत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने हमेशा सुरक्षा और सीमा नीति को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। इस ताजा घटनाक्रम में भी भारत ने न केवल अपनी शर्तों पर पाकिस्तान को सीजफायर के लिए मजबूर किया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि शांति तभी संभव है जब भारत के हितों का सम्मान किया जाए

यह कोई सामान्य सीजफायर नहीं है, बल्कि यह एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत की कूटनीतिक जीत है। भारत ने न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा की, बल्कि अपनी बात मनवाने में भी सफलता प्राप्त की।

DGMO स्तर की बातचीत क्यों अहम?

भारत और पाकिस्तान के बीच DGMO (Director General of Military Operations) स्तर की बातचीत अक्सर संकट की घड़ी में की जाती है, जब युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही हो। इस बार भी DGMO स्तर की बातचीत से पहले सीमा पर लगातार गोलीबारी हो रही थी, जिसमें भारत के कई जवान और नागरिक घायल हुए थे।

भारत ने पहले भी कई बार सीजफायर उल्लंघनों का जवाब कड़ा और सटीक ढंग से दिया है। लेकिन इस बार भारत की रणनीति यह थी कि जवाबी कार्रवाई के साथ-साथ कूटनीतिक दबाव बनाया जाए ताकि पाकिस्तान खुद सीजफायर की मांग करे और यही हुआ।

पाकिस्तान का बदला रुख मजबूरी या रणनीति?

पाकिस्तान की तरफ से अचानक फायरिंग रोकने और सीजफायर की मांग करना कई सवालों को जन्म देता है। क्या यह अंतरराष्ट्रीय दबाव का नतीजा है? या फिर भारत की सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसी कड़ी सैन्य कार्रवाइयों ने पाकिस्तान को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया?

विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान को अब यह एहसास हो गया है कि भारत अब केवल जवाबी कार्रवाई नहीं करता, बल्कि पहले से भी दो कदम आगे सोचकर कार्रवाई करता है। ऐसे में पाकिस्तान के पास सीजफायर की पहल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।

सीमा पर बसे लोगों को राहत

जम्मू, पुंछ और राजौरी जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोग लगातार हो रही गोलीबारी से बेहद परेशान थे। बच्चों की स्कूलिंग बाधित थी, लोग बंकरों में रहने को मजबूर थे और सामान्य जीवन बुरी तरह प्रभावित था। लेकिन अब सीजफायर लागू होने के बाद इन लोगों के जीवन में उम्मीद की नई किरण जगी है।

स्थानीय निवासी कहते हैं “हमें सरकार और सेना पर पूरा विश्वास है। इस बार जो समझौता हुआ है, वो भारत की शर्तों पर हुआ है, इसलिए हमे लगता है कि यह लंबे समय तक टिकेगा।”

राष्ट्रीय सुरक्षा पर सरकार की नजर

सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह सीजफायर स्थायी नहीं है, बल्कि स्थिति की समीक्षा करते हुए आगे का रुख तय किया जाएगा। अगर पाकिस्तान ने फिर से कोई हरकत की, तो भारत पहले से भी ज्यादा सख्ती से जवाब देगा।

भारत की रणनीति अब ‘पहले सहनशीलता, फिर निर्णायक एक्शन’ पर आधारित है। यही नीति देश को मजबूती के साथ सुरक्षा की ओर ले जा रही है।

निष्कर्ष एक नया युग की शुरुआत

भारत-पाकिस्तान के बीच हुए इस सीजफायर को केवल एक समझौता मानना उचित नहीं होगा। यह एक नए भारत की पहचान है जो न केवल अपनी सुरक्षा को लेकर सजग है, बल्कि कूटनीति और रणनीति से भी अपनी बात मनवाने में सक्षम है।

भारत ने फिर से साबित कर दिया है कि जब बात देश की संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा की होती है, तब भारत किसी भी हद तक जा सकता है। यह भारत की सैन्य ताकत, कूटनीतिक चतुराई और राजनीतिक नेतृत्व का एक सुंदर समन्वय है जिसकी मिसाल आने वाले समय में दी जाती रहेगी।


यह भी पढ़े:





विशेष समाचार


कुछ ताज़ा समाचार